कृषि (बांस)-
राष्ट्रीय बांस परियोजना SKSKF के साथ मिल कर किसान भाई विभिन्न प्रकार में बांस
की खेती करेंगे। बांस से किसान भाई को फायदा। किसान भाई अपने उबड़-खाबड़ 1
एकड़ जमीन में 1000 बांस का पेड़ लगाकर 3-4 साल बाद 1 लाख से 10 लाख तक
सालाना मुनाफा ले सकते हैं। (खर्चा 1 बार फायदा बार-बार)।
अब इस बिगड़ते पर्यावरण को केवल बांस ही बचा सकता है।
अभी जो हालात है उनको ध्यान में रखकर यह कहा जा सकता है कि पर्यावरण के मानकों के घोर अन्देखी का दुष्प्रभाव भयावह रूप लेने लगा है। नदियां प्रदूषित हो गयी है। बेतहासा वनों का विनाश किया जा रहा है, वायु प्रदूषण में व्यापक वृद्धि हुई है। कृषि में कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से जैविक संतुलन को अपार क्षति पहुंची है। अनेक किटों की प्रजातियां समाप्त हो रही हैं, जिनका प्राकृतिक रूप से परागण करने में महत्वपूर्ण योगदान होता था।
ऐसी परिस्थिति में आशा की एक किरण दिखाई देती है वह है हरा सोना यानी बांस। इस बिगड़ते हुए पर्यावरण को केवल बांस ही बचा सकता है। छत्तीसगढ़ में बांस के उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं। बांस खेती से न केवल पर्यावरण बचेगा बल्कि किसानों की आमदनी 5 गुना तक बढ़ सकती है। हमारा वनस्पति विज्ञान कहता है कि बांस का पेड़ अन्य पेड़ के अपेक्षा 35 प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बन डाई ऑक्साइड को तीव्र गति से ग्रहण करता है। एक सर्वे के अनुसार बांस का 1 पेड़ सालाना 230 टन ऑक्सीजन देता है। साथ ही यह पीपल के पेड़ की तरह दिन में कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है एवं रात में ऑक्सीजन छोड़ता है।
बांस की 1400 प्रजातियां पायी जाती हैं।
भारत में बांस की लगभग 136 प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें केवल 10-15 प्रजाति ही व्यावसायिक मानी जाती है, जिनमें बांस की कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं। जो एक दिन में 121 सेन्टीमीटर तक बढ़ जाती है। बांस की खेती कर कोई भी व्यक्ति करोड़पति बन सकता है। एक बार बांस खेत में लगा दिया जाए तो 4 साल बाद वह उपज देने लगता है। अन्य फसलों पर सूखे एवं कीटों का प्रकोप हो सकता है। जिसके कारण किसानों को आर्थिक हानि पहुंचती है। लेकिन बांस एक ऐसी फसल है जिस पर सूखे एवं वर्षा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व अर्थव्यवस्था में बांस का योगदान 12 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है। इसके उत्पादन में विशेषतापूर्ण देश अपना योगदान दे रहे हैं। बांस की प्राकृतिक सुंदरता के कारण इसकी मांग सौंदर्य एवं डिज़ाइन की दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। भारत में बांस के जंगलों का कुल क्षेत्रफल 11.4 मिलियन हेक्टेयर है जो कुल जंगलों के क्षेत्रफल का 13 प्रतिशत है। अभी तक बांस के लगभग 2500 विभिन्न उपयोगों की जानकारी है। जिसमें संरचनाओं का निर्माण घरेलु उपयोग की वस्तुएं बनाने, साज-सज्जा के सामान, सी.एन.जी. एथेनॉल जैसी ईंधन बनाना आदि शामिल है।
देश की अर्थव्यवस्था में बांस योगदान दे सकता है।
इस कड़ी में केन्द्र सरकार के नेशनल बैम्बू मिशन के तहत यहां स्थित वन अनुसंसाधान केन्द्र ने बांस की विभिन्न प्रजातियों की पूरे प्रदेश में बांस की खेती को बढ़ावा देने की तैयारी की है। वर्तमान समय में बांस का अनुमानित वार्षिक उत्पादन भारत में 1.35 करोड़ टन है। देश का उत्तर पूर्वी क्षेत्र बांस के उत्पादन में काफी समृद्ध है। एवं देश के 65 प्रतिशत एवं विश्व के 20प्रतिशत बांस का उत्पादन करता है। आज बाजार में बांस के कई उत्पाद काफी लोकप्रिय हैं जिन्हें काफी पसंद किया जा रहे हैं। बांस का आचार, मुरब्बा, बांस का सिरका, फूलदान, अगरबत्ती की छड़ी, मोबाइल कवर, टूथ ब्रश , पेन स्टैंड, फर्नीचर, जेवर, खाने वाली शाखाएं, ताबुत, झाड़ू, फोटो फ्रेम, हैंगर, एस्ट्रे, सीढ़ी और यहां तक की पानी के बोतल का कवर भी बांस के बने होते हैं। बांस की बनी लगभग 2500 वस्तुओं का ग्रामीण स्तर पर युवाओं-युवतियों के लिए स्थायी रोजगार एवं आय का माध्यम बन सकता है। तथा देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकता है।
भारत सरकार के अनुसार देश में प्रतिदिन लगभग 2000 टन अगरबत्ती का उपयोग है हालांकि भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन 800 टन ही है। मांग और आपूर्ति के बीच यह बहुत बड़ा अंतर है इसलिए इसमें रोजगार सृजन की अपार सम्भावनाएं हैं। जिसमें लगभग 1200 टन अगरबत्ती चीन, वियतनाम से आयात करनी पड़ती है। देश में 1200 टन अगरबत्ती की 300 टन काँटी बनाने के लिए लगभग 2000 टन बांस प्रतिदिन तथा 7.5 लाख टन बांस सालाना जरूरत होती है। केन्द्रीय बजट 2018-19 में बांस को हरा सोना बताया गया है। देश के कुल बांस उत्पादन में पूर्वोत्तर भारत की हिस्सेदारी तकरीबन 68 फीसदी है। अनुमान के मुताबिक दुनिया के कुल बांस संसाधन में भारत की हिस्सेदारी 30 फीसदी है। लेकिन वैश्विक बाजार में इसका योगदान सिर्फ चार फिसदी है। असली दिक्क़त इसके कम उत्पादन को लेकर हैं बांस खेती के लिए किसानों को जागृति पैदा करना SKSKF द्वारा शुरू किया गया जो राष्ट्रीय बांस मिशन में अहम भूमिका निभा सकता है।
पर्यावरण बचाने में मदद करता है बांस
बांस एक पर्यावरण हितैषी पौधा है। यह बहुत ही परिवर्तनशील पौधा है। इसे विकसित होने में बहुत कम समय लगता है। बांस को 3-5 साल का होने पर काट सकते हैं। जबकि अन्य पेड़ 25-30 साल का होने पर ही उपयोगी हो पाते हैं। यह धरती का सबसे तेजी से बढ़ने वाला पौधा है। इसकी कुछ प्रजातियां एक दिन में 8 से.मी. से 40 से.मी तक बढ़ती देखी गई हैं। बढ़वार का विश्व रिकॉर्ड एक जापानी किस्म के बांस ने बनाया है जिसने मात्र 24 घंटे में लगभग सवा मीटर की बढ़वार दिखाई। तीव्र वृद्धि के कारण लकड़ी की तुलना में इसका उत्पादन 25 गुना अधिक होता है। बांस की कटाई और तीन महीने के अंदर पुन: तैयार होने से पर्यावरण पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। बांस के बगानों में लगायी गई लागत 3 से पांच साल में निकल आती हैं जबकि अन्य वृक्षों में यह अवधि लगभग 15 साल है। बांस की कटाई उसके तने के जड़ से होती है । जड़ से पुन: नया शूट निकलने से उसका थोड़े दिन बाद ही व्यवसायिक उपयोग किया जा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। बांस के पौधे मिट्टी की उपजाऊ ऊपरी परत का संरक्षण करते हैं, क्योंकि इसके आपस में जुड़े हुए भूमिगत कंद भूमि की ऊपरी सतह को अपनी जगह पर मजबूती से संजोए रखते हैं। बांस की लगातार गिरती पत्तियां वन भूमि पर चादर सी फैली रहती है। इसलिए नमी का संरक्षण भी रहता है । साथ ही तेज वर्षा के समय ये पत्तियां ढ़ाल बनकर भूमि की उपजाऊ ऊपरी परत का संरक्षण करती हैं। बांस के पौधों में हवा में उपलब्ध कार्बन डाई ऑक्साइड को सोखने की अच्छी क्षमता होती है। इसके झुरमुट प्रकाश की तीव्रता को कम करने हैं और खतरनाक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा भी प्रदान करते हैं । वैज्ञानिकों का मानना है कि बांस के पौधे अन्य वृक्षों के मुकाबले हवा में अधिक ऑक्सीजन छोड़ते हैं। बांस के पौधों में बंजर भूमि को सुधारने की अच्छी क्षमता पायी गई है। बांस के पौधे को प्रकृति विज्ञानी कुदरत की प्राकृतिक सफाई प्रणाली का अंग मानते हैं। क्योंकि यह प्रदूषण को पौध-पोषकों में बदल देता है जिससे मूल्यवान फलें पनपती हैं। बांस ऊर्जा उत्पादन में भी अपना योगदान करता है। बांस से कागज बनाने में हरे-भरे पेड़ों-पौधों के विनाश पर रोक लगती है।
बांस पर आधारित उद्योग आर्थिक मदद भी कर सकता है -
एक सर्वे के अनुसार भूकंप प्रभावित देश जापान के जन-जीवन में बांस का महत्वपूर्ण योगदान है। इसका उपयोग वहां भवन निर्माण से लेकर खान-पान व कुटीर उद्योग में बहुतायत से किया जाता है। इसी कीदृष्टि में रखकर भारत में भी इसके विभिन्न प्रकार के उपभोग की संभावनाएं पढ़ी हैं,यद्यपि वैदिक काल में भारत में दवा और इमारती कार्य में इसका उपयोग किया जा रहा है। खाद्य पदार्थ के रूप में लघु एवं कुटीर उद्योग, पैकिंग उद्योग, कागज उद्योग इत्यादि क्षेत्रों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। दवा के रूप में भी बांस का उपयोग होता है।
एक अनुमान के अनुसार रामायण में भी संजीवनी के रूप में जिस जड़ी का उल्लेख है वह बांस से ही प्राप्त हुई थी। वैदिक काल से इसका उपयोग दमा, खांसी व हड्डी जोड़ने के सहायक के रूप में किया जाता है।
भवन निर्माण में भी बांस का योगदान है -
भवन निर्माण में बांस बहुत लोकप्रिय है। गाँव में यह लोहे, ईंट आदि का महत्वपूर्ण विकल्प है। अपने लचीलेपन और मनचाहे आकार में काटने की सुविधा के कारण इसका उपयोग टर छप्पर व खपरैल के घरों में प्रचुरता के साथ किया जाता है । जापान में बांस का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। वहीं के भूकंप के झटकों के खतरे से बचने में भी सहायक होता है। उसी इस्तेमाल को ध्यान में बांस का होना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए स्टील के ऊंचे झटकों की तुलना में यह कम टिकाऊ होता है। लेकिन बांस के निवासियों के लिए अधिक उपयोगी है। इसमें लोहा व स्टील के साथ ही इसे लगाने व हटाने की सुविधा है। बांस के ऊपर रंग-रोगन और पेंट चढ़ाकर उसे टिकाऊ तथा उपयोगी बनाने के लिए ऐसी तकनीकी से और अधिक विकसित किया जाना चाहिए। इससे 13.47 मिलियन हेक्टेयर भूमि में कुल लगभग 3.4 हेक्टेयर क्षेत्र में ही बांस के पौधे लगाए गए हैं। भारत के पूर्वी राज्य सहित अन्य भागों में बांस की विविध किस्में पायी जाती हैं, लेकिन परंपरागत तरीकों से ही बांस का उपयोग होता आया है। बांस के बुरादे को पेपर मिलों में खपाने के बाद भी उनका निपटान नहीं हो पाता है। बांस से बिजली उत्पादन के लिए हरित प्रौद्योगिकी अपनाने की आवश्यकता है। बांस से जलविद्युत संयंत्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उद्योग विभाग ने एक नई कल्पना तैयार की है। बांस से पारदर्शी प्लास्टिक उत्पादन, जल संचयन प्रणाली व सीढ़ियों का निर्माण भी किया जा सकता है।
लघु एवं कुटीर उद्योगों से लोगों को रोजगार मिलेगा -
उद्योगों में बांस का महत्वपूर्ण उपयोग कागज उद्योग में किया जा रहा है। बांस की बनी लुग्दी कागज उद्योग को नया आधार प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त अन्य लघु एवं कुटीर उद्योग में इसका बेहतरीन उपयोग किया जा सकता है। बांस कों चीरकर छोटी-छोटी टीलिया बनाकर उसका उपयोग अगरबत्ती, माचिस आदि में किया जा सकता है। इससे कुटीर उद्योग का दो लाभ महत्वपूर्ण आधार है। इसका केंद्र-कर्नाटक है। इसका बाजार 1800 करोड़ रुपये का है, जिसकी प्रतिवर्ष वृद्धि दर 20 प्रतिशत है।अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिवर्ष एक मिलियन टन होता है। एक किलो अगरबत्ती के निर्माण में बांस का उपयोग 7 से 8 प्रतिशत होता है और पूरे अगरबत्ती उद्योग में बांस का योगदान लगभग 135 करोड़ रूपए का है।
लगभग एक मिलियन टन बांस का उपयोग आइसक्रीम पत्तल पतंग पटाखे लाठियों आदि से मछली पकड़ने वाले उपकरण टोकरियाँ टोकरियाँ खच्चरों खुर्रियाँ पंखे बांसुरी खिलौनें इत्यादि में किया जाता है। सप्रति इसमे बांस की खपत 40 करोड़ है जबकि अच्छें तकनीकी का उपयोग कर इसका बाजार 186 करोड़ तक बढ़ाया जा रहा है पेंसिल उद्योग इस समय 800 करोड़ रुपये का है। इसमें पांच बढ़ी कंपनिया लगी है जिसमें हिंदुस्तानपेंसिल का बाजार के 80 प्रतिशत भाग पर कब्जा है। सरकार की प्रोत्साहन से उच्च तकनीकी का उपयोग कर बड़ी आसानी से लकड़ी के जगह बांस का प्रयोग किया जा सकता है। स्वतंत्रता के समय तक माचिस उद्योग पर विदेशी कंपनियों का एकाधिकार था लेकिन सरकार के प्रोत्साहन व खरीद इसे विदेशी इंडस्ट्रीज कमीशन (KVIC) के सहयोग से सुरक्षित। उद्योग के क्षेत्र में कई कुटीर उद्योग की इकाइयाँ स्थापित हुई हैं। इस समय देश का 70 प्रतिशत कुटीर उद्योगों के सहारे है। जिसकी आर्थिक सहभागिता 80 करोड़ रुपयें की है माचिस की तीलिया लकड़ी की बनती हैं, लेकिन इसके लिए बांस महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है। आई.पी.आई.आर.टी.आई. (IPIRTI) ने बांस के परखाच्चें से तीलियाँ बनाने की तकनीकी विकसित की है जो सभी आवश्यक मानकों पर खरी उतरी है।
प्रति एक बढ़ी हुई आय सुनिश्चित है -
किसानों की आय में हो सकती है वृद्धि बांस का पेड़ एक बहुत ही महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एजेंडे को संबोधित करता है। बांस के इंजीनियरिंग उत्पादक उत्पाद के द्वारा किसानों के आय में वृद्धि प्राप्त होती है। बांस के भौतिक गुणों का विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है। इसलिए बांस से बनें इंजीनियर उत्पादक का निर्माण मुख्य बांस से बहुत अच्छे ढंग से हो। बांस की उपयोगिता के द्वारा लाखों किसानों की आय में वृद्धि कर सकते हैं।
skskf किसानों को बीज आधारिता बम्बुसा बम्बू कटिंग। अथवा राइजोम आधारिता बम्बबुसा बाल्कुवा बांस के पौधे प्रदान करता है और उनका आय 4+ वर्षों पर बहुत हर्षालोप से लिया जा सकता है। उत्पादन का लगातार बढ़ोतरी के साथ।
प्रति एकड़ है। कोई भी साधारण फसल इस तरह के मौलिक प्रतिफल की बराबरी नहीं कर सकती। बांस का रोपण भी एक आकर्षक समाधान है क्योंकि किसानों के पास बीजए किटनाशक आदि जैसे उपकरणों पर खास खर्च नहीं होता है। कम निवेश और अधिक राजस्व अर्जित करने के साथ किसान बेहतर शुद्ध आय की उम्मीद कर सकते हैं। skskfपरियोजना बांस कों खरीद लेगा। बांस की जब से फसलों की उपस्थिति की संभावना को बढ़ावा दे रहा है। कई वित्तीय समूहों ने मदद करते हुए इस समूह की स्थिति में बेहतरीन ढंग से जीवित रहने में मदद करती है। गर्मियों में कठोर जलरहित जलवायु की स्थिति बांस के विकास को कम कर सकते हैं लेकिन इसके अलावा बांस की संभावना है। समाज बेहतर शुद्ध आय प्रदान सामग्री से पैसा कमाया जा सकता है क्योंकि यह एक सामान्य फसल की तुलना में वार्षिक रिटर्न बेहतर सुनिश्चित करता है।
बाँस भूमि की प्रकृति को जैविक में बदलता है–
एक अध्ययन के अनुसार उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण हम प्रतिदिन सब्जियों के साथ विषाक्त पदार्थों का भी सेवन कर रहे हैं। लेकिन किसानों मदद नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा फसल प्राप्त करना होता है। भूमि में उर्वरकों की आवश्यकता दिनों में बढ़ती है एक ओर बांस का जैविक होता है वह हद है कि बाँस के उपयोग से भूमि उर्वर हो जाती है जिससे भूमि में कुछ जैविक तंतुओं को तोड़ने में मदद करता है। बांस की जड़ों को मिट्टी में किसी व्यवसाय या उत्पाद की आवश्यकता नहीं होती है। किसान इसकी जड़ों से पानी की मदद किए बगैर पर्याप्त भोज्य पदार्थों व जीविका खाद के रूप में कम करते हुए प्राकृतिक खाद में बदल जाता है। किसान इसे खाद या अन्य उपयोग कम करते हैं। जिनमें औद्योगिक उत्पाद की कम या पर्याप्त उपयोग हो सकता है। इसलिए समय के साथ, बाँस का भूमि की प्रकृति कों दूषित से स्वस्थ जीविका में बदल देना है।
पानी की आवश्यकता कम होती है–
एक अध्ययन के अनुसार बांस की खेती में सामान्य फसल की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है। वास्तव में दो साल के रोपण के बाद इसे बाहरी स्रोतों से विशेष पानी की आवश्यकता नहीं होती है और यह सालों साल जीवित रह सकता है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में उगाया जाता है यह उन खेतों के रूप में काम करता है जिनके पास गर्मी के समय में पर्याप्त पानी नहीं होता है। ऐसा परिस्थिति वास्तव में शेष जल का पर्याप्त उपयोग प्राप्त करने में मदद करता है। बांस यह दर्शाता है कि बांस की झाड़ी के आसपास की भूमि में अतिरिक्त नहीं होती है। यह बेहतर फसलों के लिए फायेदेमंद होता है।
बांस से वनों की कटाई रूकेगी–
बांस से स्थायी ग्रीन का निर्माण होगा इस चक्रीय फसल प्रक्रिया के कारण केवल बांस रोपण के माध्यम से स्थायी ग्रीन निर्माण द्वारा पर्यावरण का बचाव संभव हो सकता है।चाहे वह पार्टिकल बोर्ड (पीवी) हो या एमडीएफ या ओएसबी या फाइबर बोर्ड, हमारी दिन-प्रतिदिन की दुनिया में एक आवश्यक वस्तु है । आप अपनी आँखें खोलें और अपने आस पास देखें तो आप उसे किसी न किसी रूप में अपने पास पा सकते हैं।
कृषि का इंटरक्रॉपिंग मॉडल है लाभकारी–
SKSKF ने कृषि का एक इंटरक्रॉपिंग मॉडल पेश किया है ताकि किसानों को बांस के बागान से वापसी के लिए 4 साल तक इंतजार न करना पड़े। इस मॉडल में बांस के पौधे लाइन में लाइन 12 फीट तथा पेड़ से पेड़ 5 फीट दूरी पर पंक्तिया में लगायें तो प्रति एकड़ 600 पौधे लग जाते हैं । इससे प्रति एकड़ 5 लाख सालाना की आय होगी । किसानों के बीच में डाले जाने वाली सामान्य फसल डालना लाभकारी है। इससे लगभग समान स्तर की कमाई प्राप्त होती है जो उन्हें हर साल मिलती है। यह माडल विशेष रूप से सफल है जब किसानों के पास गर्मियों में अपनी फसल के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता है। वह केवल बांस की पत्तियों के बीच सामान्य फसल को पानी देते हैं। यह बांस पौधों के लिए पर्याप्त है।
कृषि पर मेहनत कम— होगा सुखमय जीवन
बांस बृक्षारोपण के दूसरे बड़े से बांस की खेती पर आवश्यक मेहनत काफी कम हो जाती है और तीसरे चौथे वर्ष धीरे-धीरे लगभग नगण्य हो जाती है। इसलिए किसान अपनी मेहनत के उस हिस्सों को खेती और अन्य कार्य—जैसे अध्ययन मनोरंजन सामाजिक संपर्क आदि कर सकता है—जिसके परिणामस्वरूप उनका सुखमय जीवन हो जाता है। चूंकि बांस का रोपण गावों के सम्मान जनक आय का सृजन का एक अवसर प्रदान करता है, वह गांव की ओर एवं रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित करता—जिससे गांवों में उनका सुखमय जीवन हो।खेती भूमि का उपयोग में होगी वृद्धि
SKSKF ने एक अध्ययन में पाया है कि बृक्षारोपण बम्बू खेती द्वारा एक किफायती प्रणाली है। अर्थात यह पर्यावरणीय उत्पाद—खाद्य प्राप्त करेगा। एक स्थान में ही कई स्थानों में बांस उग सकता है। किसान की भूमि की रेखाओं के बंधन पर बांस के पौधे उस भूमि के टुकड़े को आरामित रूप बना सकते हैं जिन पर अन्य वर्षों से खेती नहीं की है, जिससे परिणामस्वरूप स्वच्छ भूमि के लिए उत्तम भूमि का निर्माण और अधिक अनाज आदि का उत्पादन हो सकता है।
किसानों के लिए आय है सुरक्षित–
किसान की समस्या का समाधान किसान भाई खाली पड़ी कम पानी वाली एक एकड़ जमीन पर 600 बांस पेड़ लगा सकते हैं। बांस की खेती से अपेक्षित शुद्ध आय लगभग 7 लाख प्रति एकड़ हो सकती है। जो कोई भी अन्य फसल इस तरह के रिटर्न में समान नहीं ला सकती है। बांस रोपण के लगभग दो साल बाद किसी भी अन्य सामान्य फसल की तुलना में, प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों, उदाहरण के लिए सूखा से बचने के लिए बांस पेड़ बेहतर अनुकूल हैं। इसका कारण यह है कि बांस की झाड़ियां सामान्य मौसमी फसलों की तुलना में प्राकृतिक हवा से पानी लेती हैं। पाटशन,छत,डेस्क आदि सभी लकड़ी के बोर्ड से बनाए जाते हैं और इन बोर्डों को प्राप्त करने के लिए उन पेड़ों को काटना पड़ता है जो अंततः वनों की कटाई में योगदान करते हैं। इस संदर्भ में SKSKF की यह परियोजना सराहनीय है। वास्तव में यह दुनिया का पहला बांस आधारित सामूहिक-इंजीनियर प्रोडक्ट उत्पादक परियोजना है। इन परियोजनाओं के लिए वातावरण आधारित बायो-इंजीनियर प्रोडक्ट बांस का उपयोग किया जाएगा। स्थानीय उत्पादन के लिए यह मॉडल बनेगा कि हम भोजन आधारित इंजीनियर प्रोडक्ट की अपनी जरूरत को पूरा कर सकते हैं लेकिन फिर भी जंगल को छोड़ सकते हैं।
बाँस से हरित पर्यावरण का निर्माण
पर्यावरण पर बांस का प्रभाव बांस किसी भी अन्य संयंत्र की तुलना में 32% अधिक CO2 अवशोषित करता है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की पर्यावरणीय चुनौती को जवाब देता है। हरित पर्यावरण का लाभ हर कोई जानता है, यह ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करता है, बारिश में मदद करता है और तापमान के मध्यम स्तर को बनाए रखता है बांस के वृक्षारोपण के माध्यम से SKSKF उस हरे भरे वातावरण का निर्माण कर रहा है। वर्तमान में बृक्षारोपण में संलग्न हो रहे हैं। 4 वर्षों के बाद लगभग एक चक्र अपनाने की योजना बना रहे हैं। बांस की झाड़ियों से लगभग 20% पानी बचता है और 80% बृक्षारोपण की भूमि शुष्क रहेगी। इस हरित क्रांति आधारित रोपण प्रक्रिया की सामान्य फसलों से तुलना में अलग है जो धीरे-धीरे बांस के निर्माण और विकास के कार्य को अनुसरण करती है।
मृदा अपरदन (कटाव) की रोकथाम
मृदा अपरदन (भूमि कटाव) वनों की कटाई के अभिशापों में से एक है। बड़े पेड़ और झाड़ भूमि की नमी को पकड़ने में मदद करते हैं जबकि बांस की जड़ें भूमि के रास्ते में इसे पकड़े रखती हैं और कटाव की संभावना को कम करती हैं। बांस की यह संरचना न केवल पेड़ों को कटाव से बचाती है बल्कि इन क्षेत्रों में पौधे का जीवन चक्र लंबे समय तक बढ़ा रहता है। इसका परिणाम यह है कि भूमि नदियों और पहाड़ों से मिट्टी क्षरण की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बांस की संरचना से नदी की भूमि के बहाव से मिट्टी का कटाव कम होता है।
बांस को चाय व सिलिका का एक अच्छा स्रोत माना जाता है बांस के पौधे को दुनिया में सबसे अधिक आदिम घासों के रूप में माना जाता है। इसमें भी तीन अलग-अलग प्रजातियां शामिल हैं। भारत में 136 से अधिक प्रजातियां तथा दुनिया में 1500 से अधिक विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत और चीन दोनों देश की उद्योगों एवं सांस्कृतिक के संदर्भ में हस्ती के रूप में बांस अब विभिन्न जलवायु और बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं के व्यापारिक रूप में अनुकूल माने गए हैं।
मानव इतिहास में बांस का व्यापाक रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में एक मजबूत रेशेदार संधारण सामाजिक रूप से इसकी बहुमूल्य प्रतिष्ठा के लिए उपयोग किया गया है, जो एक कपड़ा, कागज़, और भवन संसाधन के रूप में भी उपयोगिता प्रदान करता रहा है।
इस आधुनिक समय में बांस को आवश्यक तौर पर सभी देशों में विशेष रूप से इसकी पर्यावरणीय भूमिका के लिए उपयोग किया जा रहा है। Bamboo प्रजातियां एक अत्यधिक तेजी से विकसित होने वाली पौधों की प्रजातियां मानी जाती हैं और इस प्रकार की बांस उपज और पारिस्थितिक वृक्ष नवीकरणीय संसाधन में अग्रणी है।
ज्यादातर लोग बांस के अंकुर को अब एक आम दिखने वाले और ऊंची उठी हुई मड़वा के परिवेश होते हैं। लेकिन इन दिनों बांस पोषक चाय और पूरक अर्क के रूप में उपयोग के लिए अधिक प्रसिद्ध हो रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर ट्रेस खनिज सिलिका के उच्चतम संयंत्र,आधारित स्रोतों में से एक माना जाता है। जो आहार को बढ़ावा देने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक के रूप में सहायक होता है, आहार संजीव सिलिका प्रस्तुत करने का आग्रह प्रमुख स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा इसे बढ़िया पोषक तत्व की बढ़त के लिए एक 'स्वास्थ्य तरीका' के रूप में देखा जाता है।
जानिए सिलिका आहार क्या है:
सिलिका जिसे सिलिकॉन भी कहा जाता है (सिलिकॉन के साथ भ्रमित नहीं होता)। यह पृथ्वी का दूसरा सबसे प्रमुख खनिज तत्व है। जो पृथ्वी की ऊपरी भूमि की परतों की प्रमुख चट्टान है। यह मानव और वन्य जीवन में भी मौजूद है। खाद्य पदार्थ मानव शरीर द्वारा ग्रहण होता है।
जबकि हम संतुलित आहार का सेवन करते समय सिलिका प्राप्त करते हैं जिसमें सब्जियों और अनाजों जैसे बहुत सारे गुणवान खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। हालांकि, बांस बड़े पैमाने में शरीर में भोजन संपादन सिलिका के कृत्रिमता से अवशोषण को सुनिश्चित करता है जब सेवन किया जाता है।
शिशुओं में बहुत अधिक सिलिका होती है और जैसे जैसे हम बढ़ते हैं सिलिका कम होता है। बुढ़ापे में अक्सर कमी होती है और बहुत कम सिलिका का सेवन होता है। सिलिका उन गुणों को बढ़ावा देता है जो शरीर की त्वचा, नाखूनों, और बालों के संबंध में होता है। बांस के अर्क का सेवन आमतौर पर उस बुढ़ाने की प्रक्रिया में एक सहायक पोषण पूरक के रूप में देखा जाता है।
हालांकि सटीक तंत्रों पर अभी भी शोध किया जा रहा है लेकिन सबूत बताते हैं कि सिलिका न केवल संजोयी ऊर्जा और हड्डी के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि कोलेजन संश्लेषण पर भी प्रभाव पड़ता है। इसी तरह त्वचायें मसूढ़ो, बालों और नाखूनों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए एक आवश्यक युवा संरक्षक पोषक तत्व के रूप में पहचाना गया है।
सिलिका को अब कैल्शियम अवशोषण में एक आवश्यक भूमिका निभाने के लिए समझा जाता है जैसा कि प्रोफेसर करवरन बायोल, जिकल ट्रांसमिटेशन के लेखकों और एडिथ एम कर्लिसल पीएचडी दोनों के कार्य के द्वारा प्रदर्शित किया गया था। हड्डियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर कुछ वर्षों का अध्ययन किया गया था।
सिलिका को समय के साथ आत्मसात करने में सहायक बनने के लिए सुचित किया जाता है। लेकिन विशेष रूप से कैल्शियम का अपवाह धमनियों और जोड़ों में कैल्शियम के संचय की क्षमता का कम करता है विशेष रूप से 40 साल की उम्र में एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
जानिए बांस और इसकी सिलिका सामग्री के बारे में
बांस किसी भी पौधे आधारित भोजन या जड़ी बूटी के सिलिका के उच्चतम प्राकृतिक कार्बनिक स्रोतों में से एक के रूप में जाना जाता है जिसमें हर्स्टेल और बिछुआ शामिल हैं। यह सिलिका छिपी हुई है। ये माना जाता है कि यह ग्रह पर सबसे मजबूत सबसे लंबे और सबसे लचीले पौधों की प्रजातियों में से एक है।
बांस फोकिया घास परिवार उच्च संज्ञान में सांद्रता की भंडारण पर विशेष रूप से कुशल है। ये पौधों के ऊपर बड़े भागों में सिलिकॉन ट्रांसफर्स और संचयन के रूप में बहुत ऊंचा उठता है।
यथार्थ सिलिकन सामग्री तने और पत्तियों में पाया जाता है। यह खोखले तने के अंदर एक संग्राहित राल पदार्थ के रूप में पाया जाता है, जिससे पता चलता है कि बांस सिलिका के रूप में प्राथमिकता के साथ अन्य वन उत्पादों की तुलना में अधिक अंकुर तेजी पर सबसे मजबूत रेशेदार पौधों में से एक है। कुछ लोग इसे बांस की प्रजातियों में सर्वोत्तम आहार ऊर्जा पुन:स्थापना और शारीरिक शक्ति को मजबूत और पोषक तत्व बनाने में विश्वास योग्य सामग्री मानते हैं।
जबकि तैयार किया गया युवा बांस शूट सांस्कृतिक आवासों में व्यापार रूप में उपयोग किया गया है। वन खाद्य आदान स्रोत हैं जहां बांस स्वाभाविक रूप से प्रचुर मात्रा में हैं। घास पौधे के अन्य कार्यों में मजबूत मानव समाज के लिए प्रभावी पदार्थ बनता है।
क्या बांस में सिलिका का अच्छा स्रोत है—
कुछ शोधों में विभिन्न सिलिकन आधारित सप्लीमेंट्स की अवशोषण दर की तुलना करते हुए यह संकेत दिया गया था कि सूखे पौधे,व्युत्पन्न अर्क जैसे कि हर्स्टेल को कैल्शियम संबंधित मामलों में टूटने के लिए अवरोध काम की आवश्यकता होती है। क्योंकि वे बड़े रूप होते हैं और सरल समाधानों के विपरीत होते हैं जैसे मोनो मिथाइल साइलन ट्रायऑक्स एमएमएसटी या कोलॉइडल सिलिकॉन पर आधारित अन्य उच्च अवशोषण से भी उच्च दर्जा दिया गया है।
यद्यपि हम निश्चित वैज्ञानिक प्रमाण नहीं जुटा पाए हैं कि बांस पौधों पर आधारित अर्क जैसे- हर्स्टेल के रूप में अवशोषण की दर कम होने के कारण कोई निश्चित निष्कर्ष निकलता है कि यह मामला हो सकता है। केवल एक अध्ययन के अनुसार ही इतनी अधिक वैज्ञानिक जांच की आवश्यकता हो सकती है।
हालांकि विगत अनुसंधान में बांस उत्पन्न प्राकृतिक उत्पादों के स्वास्थ्य लाभकारी प्रभावों के कुछ सबूत है लेकिन विशेष रूप से आहार सिलिका अपटेक से संबंधित नहीं हैं।
फिर भी बुढ़ी घास के अर्क जैसे पुख्ता पौधें इसे पाने में निर्भर करते और कोलॉजेन बिल्डिंग फॉर्मूले में एक टॉनिक के रूप में मदद करते हैं। स्वयं बांस से निकलने वाले पाउडर को साथ सेवन के लिए—साथ पत्ती की चाय का व्यक्ति रूप से सेवन करने से और नाखून और बालों के विकास में कुछ देखे हुए हैं।
हमारा निष्कर्ष यह है कि हालाकी बांस के अर्क में सिलिका होता है। यह इस महत्वपूर्ण क्षारीय खनिज का निर्माण के अवशोषण दर में तरीके की तुलना में आत्मसात करना कठिन हो सकता है। यह विशेष रूप से बुजुर्ग वयस्कों के लिए मामला हो सकता है जिन्हें बार अवसर उस से संबंधित पाचन संबंधित समस्याएं होती हैं।
जहां तक मानव स्वास्थ्य अनुसंधान की बात है प्रमुख स्वास्थ्य अधिकारी अब तक समाधान के रूप में उपलब्ध सिलिका के अन्य रूपों को बढ़ावा दे रहे हैं जिनका अवशोषण स्तर बहुत अधिक है।
इन सभी अनुसंधान ब्रांचों में से एक ओरेगानो लिविंग सिलिका है जो एक खास जल उत्पन्न श्रोत है जो पर्यावरणीय तंत्र में प्राकृतिक मोनो मिथाइल साइलन ट्रायऑक्स स्रोतों को केंद्रित करता है। इस अक्सर जैव -उपलब्धता बढ़ने और पौधों से बढ़ने के कारण सिलिकॉन सिलिकेट्स के रूप में जाना जाता है। कुछ शोधों में पूर्व रजोनिवृत्ति महिलाओं में आहार सिलिकॉन अवशोषण के लिए मोनो मिथाइल साइलन ट्रायऑक्स का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका दिखाया गया था।
बांस की तैयारी और पारंपरिक उपयोग के प्रकार-
1. बांस पत्तों की चाय तथा शूट का उपयोग -
ताजा या सूखे पत्ते अक्सर अपने पौष्टिक तत्वों के लिए गर्म पानी के चाय के आसव में तैयार किए जाते हैं। चीन और भारत दोनों देशों में कई सदियों से बांस की पत्ती की चाय पी जाती है। हमारी राय में चाय संभावित रूप से सिलिका के अधिक शोषक रूप की पेशकश कर सकती है क्योंकि यह एक सीधा और साफ़ जल अवशेष है जो पौष्टिक शोष्य साफ जल प्रदान करता है। बांस और इसकी पत्तियों को अन्य खनिजों जैसे पोटैशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज और सेलेनियम के स्रोत के रूप में भी जाना जाता है। एंटीऑक्सिडेंट गतिविधियों के अधिकांश के लिए पत्ती के अर्क को इसी तरह शोध में पहचाना गया है।
बांस के अंकुर बांस की प्रजाति के कोमल युवा शूट पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में पारंपरिक स्टेपल पाक भोजन स्रोत के रूप में अत्यधिक उपयोग किए गए हैं। वे आमतौर पर उबले हुए होते हैं और सब्जी या किण्वित भोजन के रूप में सेवन किए जाते हैं। ये फाइबर और व्यंजनों में समृद्ध हैं, जैसे पोटैशियम के साथ-साथ थोड़ी मात्रा में सिलिका भी होती है।
2. तबाशीर बांस सिलिलोचन-
तबाशीर भी देव शीर दन्ती से बना एक सफेद पारभाषी पदार्थ है जो ओखल तने के नोड और बांस की कुछ प्रजातियों के संयुक्त खंडों में जमा होता है, जैसे कि बेम्बूसा अरुंडीनेसियस या मेलोकैन्ना बम्बुसोइड्स। जब पौधे सूख जाता है तो सूखे तेज फ्राक्ट के तने के नोडल क्षेत्रों के अंदर एक संक्रमण या जमा होता है, जो झटकों की आवाज से पहचाना जाता है।
जब निकाला जाता है तो इस शोक रालस सामग्री का भारतीय और चीनी दोनों संस्कृतियों में सैकड़ों वर्षों से औषधीय रूप में उपयोग किया जाता है। यह लंबे समय से पारंपरिक आयुर्वेदिक दवा के स्रोत प्राचीनतित्व का बड़ा सृष्टीकर्ता है।
इसका मुख्य संस्कृत नाम त्वक्षीर है जिसका अर्थ है छाल का स्रा। आयुर्वेद में इसे वंशलोचन तक्षा शरकरा या बांस मन्नाय के रूप में जाना जाता है और चीन में इसका नाम टाइयन चाउ तटका किया जाता है जिसका अनुवाद स्वर्गीय बांस पीला। आज इसे 70.90% शुद्ध सिलिका के उच्चतम संदर्भित स्रोत के रूप में जाना जाता है जिसे बांस सिलिका भी कहा जाता है।
जबकि सीधे प्राकृतिक बांस सिलिका या तबाशीर को आमतौर पर इंडोनेशिया में एक शोक राल सामग्री के रूप में बेचा जाता है। यह शायद ही कभी मैडिकल बांस स्टूल उत्पादन निर्माण में उपयोग किया जाता है क्योंकि यह काफी दुर्लभ और महंगा है। रसायण प्रौद्योगिकल और दीर्घायु के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की पुस्तक रसायन के अनुसारक इसमें दर्दनाक जोड़ों में एक प्रभावी अनुकूल क्रियाए उपादेय की कमजोरी हिस्टोपोरोसिस और ऐथेरोस्केलेरोसिस है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में जुकाम और इसके रक्त करने वाले गुणों का उपयोग कंजेशन को कम करने के लिए अरण्डा तेली जैसी जड़ी बूटियों के साथ परांपरिक मिश्रणों में भी किया जाता है।
श्योग की जड़ी-बूटियों पुस्तक के अनुसार यह एक निर्जलीकरण मानव मूत्रवर्धक कायाकल्प और एंटीएस्केलोटिक माना जाता है और निर्जलीकरण बीमारी पड़कन उल्टी बुखार अस्थमा पित्ता और खांसी जैसी स्थितियों के लिए उपयोग किया जाता है।
3. बांस की शेविंग
माना जाता है कि हर्बल पदार्थ बांस की छीलन और तबाशीर को अक्सर आयुर्वेदिक और चीनी दोनों प्रणालियों में अन्य जड़ी-बूटियों के साथ सहक्रियात्मक रूप में उपयोग किया जाता है। बांस की छीलन जिसे चीनी भाषा में झाऊ पी कहा जाता है, को छीलने वाली हरी त्वचा को हटाने के बाद बाँस की डंडी या पुलिया के भीतरी परत से प्राप्त किया जाता है, अक्सर बम्बूसा क्युलिस प्रजाति से शेविंग पारंपरिक रूप में विभिन्न रोगों के लिए औषधीय में इसका व्यापक उपयोग किया जाता है।
टीसीएम में झाऊ का उपयोग गर्म काल शीत शांति की भूख को शांत करने के साथ-साथ पित्ता को शांत करने (शीत को शांत करने) बेचैनी को कम करने पाचन क्रिया को शांत करने और पसीने सुधार को इलाज करने के लिए किया जाता है। यह कफवर्धक और पित्तवर्धक की श्रेणी के सिद्धांतों के साथ जुड़ा हुआ है। एक अध्ययन में इसे संभावित चिकित्सीय एजेंट के रूप में फुफ्फुसीय और आंतों की सूजन को रोकने के लिए प्रस्तावित किया गया था।
5. आप बांस चाय और अर्क खरीद सकते हैं।
यदि आप बांस की चाय और अर्क के साथ प्रयोग करना चाहते हैं तो ये कुछ ऐसे हैं जिन्हें हमने अपने निजी उपयोग के लिए 2018 में आजमाया और परखा है।
अकल लीज़ बैम्बू लीफ टी - प्रीपेड टी बैग्स के रूप में बांस के पत्तों की पेशकश करते हैं और क्यू, आई, क्वालिटी एश्योरेंस इंटरनेशनल द्वारा प्रमाणित जैविक हैं।
खूबसूरती से बांस की डीली पत्ती की चाय - हर्बल चाय के इन्फ्यूजन में उपयोग के लिए बल्क ढीले सूखे बांस की पत्ती पेश करें। वे एक अच्छा अर्क के साथ-साथ एक अर्क हेयर कंडीशनर भी प्रदान करते हैं।
हवाई फार्म लिकविड एक्सट्रैक्ट्स - 1रु 3 के अनुपात में वेजिटेबल पाम ग्लिसरीन और पानी वाले पुरुषों का उपयोग करके नॉन-अल्कोहल आधारित टिंचर अर्क प्रदान करता है। वे नैतिक रूप से ये जंगली काटने वाले पौधे सामग्री का उपयोग करते हैं और वर्तमान में बांस की छीलन पत्तियां या शूट का उपयोग करके विभिन्न प्रजातियों के साथ तीन बांस के उत्पाद तैयार किए जाते हैं।
बांस की छीलन तरल निकालने - बांस की छीलन (बम्बूसा क्यूरोसिस) और सुखा पूर्ण।
झाऊ पी सिलिका एक्सट्रैक्ट - सूखे बांस (बम्बूसा ) शेविंग पाउडर।
बांस तरल अर्क - बांस सुखा शूट।
बम्बू एक्सट्रैक्ट हर्बल सप्लीमेंट - यह 100% शुद्ध बैम्बू एक्सट्रैक्ट के साथ बनाया जाता है जो आंतरिक तंत्र का उपयोग करता है।
सोलासाय बम्बू अर्क - यह बम्बोसा वुल्गेरिस प्रजाति का उपयोग करके एक पानी अल्कोहल अर्क है। यह कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है और 70% कार्बनिक सिलिका को मानकृत करता है। इसके अलावा वनस्पति सेल्युलोज कैल्शियम सेल्युलोज और मैग्नीशियम स्टीयरेट शामिल हैं। यहाँ यह उत्पाद लेबल पर तबाशीर का संदर्भ देता है यह बताता है कि यह स्टेम अर्क है।
बम्बू पाउडर - यह एक यू,सडी है जो ओर्गेनिक रूप से प्रमाणित एक्सट्रैक्ट पाउडर है जिसे बम्बोसा वुल्गेरिस शूट का उपयोग करके 10रु 1 के अनुपात में बनाया जाता है।
6. कैसे उपयोग करें-
ताजे या सूखे पत्तों को गर्म पानी में डालकर एक पोषक चाय के रूप में तैयार किया जा सकता है और यह सेहत की बदबू के लिए भी फायदेमंद होता है। स्वच्छ चाय का स्वाद हल्का मीठा होता है और इसे अन्य जड़ी बूटियों और मसालों के साथ मिलाया जा सकता है।
यदि आप एक बांस की प्रजाति के करीब रहते हुए वे कटे हुए या किण्वित खाद्य स्रोत के रूप में युवा कटे हुए शूट असाधारण रूप से पौष्टिक ही होते हैं।
तरल बांस झाड रन टीचर्स पानी या चाय या पेय में सेवन किया जा सकता है।
एक्सट्रैक्ट पाउडर को आहार पूरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और महान होममेड हर्बल फेसियल एक्सट्रैक्ट टूथ पाउडर शैम्फु या कंडीशनर भी बना सकते हैं।
सावधानियां हालांकि ज्यादातर लोगों के लिए पत्तों की चाय और अर्क का सेवन सुरक्षित माना जाता है लेकिन गर्भवती नर्सिंग निर्धारित दवा लेने या यदि आपके पास कोई गंभीर चिकित्सीय स्थिति है तो किसी योग्य स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायी की सलाह लेना सर्वोत्तम है।